बच्चों में चिकनपॉक्स (छोटी माता) की रोकथाम: लक्षण और वैरीसेला टीकाकरण के द्वारा सुरक्षा

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काल्पनिक चित्र, केवल उदाहरण स्वरूप उपयोग के लिए

चिकनपॉक्स (छोटी माता), जिसे चिकित्सा भाषा में वैरीसेला के नाम से जाना जाता है1, एक अत्यधिक संक्रामक वायरल संक्रमण2 है जो मुख्य रूप से बच्चों1 को प्रभावित करता है। यदपि, इसे अक्सर बचपन की एक हल्की बीमारी माना जाता है1, लेकिन यह कभी-कभी गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है और दुर्लभ मामलों में, यह जानलेवा भी बन सकता है1

हालांकि, आपके बच्चे को चिकनपॉक्स (छोटी माता) रोग से बचाने का एक प्रभावी तरीका है: टीकाकरण1,3। चिकनपॉक्स (छोटी माता) टीकाकरण वायरस से सुरक्षा करता है, जिससे गंभीर प्रकोप एवं जटिलताओं की संभावना कम हो जाती है1,3

इस ब्लॉग में चिकनपॉक्स (छोटी माता) के लक्षणों, जटिलताओं एवं बच्चों को इस सामान्य लेकिन रोकथाम योग्य रोग से सुरक्षित रखने में वेरिसेला टीकाकरण के महत्व आदि के बारे में विस्तार से बताया जाएगा। अधिक जानने के लिए पढ़ते रहें!

 

चिकनपॉक्स (छोटी माता) रोग को समझना

Chickenpox

काल्पनिक चित्र, केवल उदाहरण स्वरूप उपयोग के लिए

चिकनपॉक्स (छोटी माता) एक तीव्र संक्रामक रोग है, जिसमें खुजलीदार लाल चकत्ते होते हैं जो अंततः द्रव से भरे फफोलों में परिवर्तित हो जाते हैं1,2। यह बीमारी वैरिसेला-ज़ोस्टर वायरस के कारण होती है, जो हर्पीज़ वायरस वर्ग1 से संबंधित एक अत्यधिक संक्रामक डीएनए वायरस है1

 

वैरिसेला-ज़ोस्टर वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में हवा में मौजूद बूंदों या सीधे संपर्क के ज़रिए फैलता है। जब कोई संक्रमित व्यक्ति सांस लेता है, खांसता है, छींकता है या बात करता है, तो वायरस युक्त लार की छोटी बूंदें हवा में फ़ैल जाती हैं एवं साँस के ज़रिए दूसरों के शरीर में जा सकती हैं, जिससे संक्रमण हो सकता है। चिकनपॉक्स (छोटी माता) संक्रमित व्यक्ति के फफोलों से निकलने वाले द्रव को छूने से भी फैल सकता है1,2।  

 

चिकनपॉक्स (छोटी माता) से पीड़ित किसी व्यक्ति के साथ निकट संपर्क से संक्रमण हो सकता है, खासकर यदि आपने टीकाकरण नहीं करवाया है या आपको पहले यह रोग नहीं हुआ है1

 

चिकनपॉक्स (छोटी माता) रोग से पीड़ित व्यक्ति दाने निकलने से 1 से 2 दिन पहले से लेकर तब तक संक्रामक रहता है जब तक सभी छालों के ऊपर पपड़ी नहीं बन जाती1। यदपि, यह रोग सामान्य रूप से 1 से 9 वर्ष के बीच आयु के बच्चों को प्रभावित करता है, लेकिन बड़े बच्चे, वयस्क और वे व्यक्ति जिन्होंने टीकाकरण नहीं करवाया है, उन्हें भी इस रोग से ग्रस्त होने का जोखिम रहता हैं, यदि उन्हें जीवन में पहले चिकनपॉक्स (छोटी माता) नहीं हुआ है1

 

आमतौर पर, चिकनपॉक्स (छोटी माता) लगभग 5 से 7 दिनों तक रहता है1। हालांकि, कुछ मामलों में, यह गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है, जैसे निमोनिया, जीवाणु संक्रमण, मस्तिष्क सूजन (एन्सेफलाइटिस), निर्जलीकरण, या रक्त प्रवाह संक्रमण (सेप्सिस)1,2। ये जटिलताएँ उच्च जोखिम वाले समूहों में अधिक होने की संभावना है, जिनमें शामिल हैं1,2:

 

  • समय से पहले जन्मे बच्च

  • शिशु

  • किशोर

  • वयस्क

  • गर्भवती महिलाएं

  • कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग

     

टीकाकरण चिकनपॉक्स (छोटी माता) रोग के संक्रमण और गंभीर लक्षणों या जटिलताओं के जोखिम को प्रभावी रूप से कम करता है, जिससे आपके बच्चे और उसके आस-पास के लोगों को सुरक्षित रखने में मदद मिलती है1,3

 

चिकनपॉक्स (छोटी माता) रोग के सामान्य लक्षण

चिकनपॉक्स (छोटी माता) रोग के लिए औसत इनक्यूबेशन (रोगोद्भवन) अवधि 14 से 15 दिनों तक होती है। इनक्यूबेशन (रोगोद्भवन) अवधि वायरस के संपर्क में आने और लक्षणों के प्रकट होने के बीच का समय है। हालाँकि, लक्षण संपर्क में आने के 10 से 21 दिनों के बाद कभी भी दिखाई दे सकते हैं1

 

चिकनपॉक्स (छोटी माता) का प्राथमिक लक्षण दाने हैं जो खुजली वाले, तरल पदार्थ से भरे छालों में बदल जाते हैं जिनमें अंततः पपड़ी बन जाती है। दाने आमतौर पर छाती, पीठ और चेहरे पर शुरू होते हैं और फिर मुंह, पलकें, खोपड़ी, हाथों और टांगों सहित पूरे शरीर में फैल जाते हैं। कभी-कभी, श्लेष्म झिल्ली और जननांग क्षेत्र भी प्रभावित हो सकते हैं1,2

 

चिकनपॉक्स (छोटी माता) से पीड़ित व्यक्ति को 1000 से अधिक घाव हो सकते हैं1, और आम तौर पर उन सभी में पपड़ी बनने में लगभग एक से दो सप्ताह लगते हैं1


साथ ही, दाने निकलने से 1 से 2 दिन पहले कुछ अन्य लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जिनमें शामिल हैं2:

  • हल्का बुखार

  • बहती नाक और खांस

  • थकावट या कमजोरी

  • सिरदर्द

     

हालांकि चिकनपॉक्स (छोटी माता) आमतौर पर हल्का होता है1,2, लेकिन यह गंभीर जटिलताओं को जन्म दे सकता है, विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों में1। ये जटिलताएं, हालांकि स्वस्थ व्यक्तियों में दुर्लभ हैं, इसमें  शामिल हो सकते हैं1

  • त्वचा और कोमल ऊतकों के जीवाणु संक्रमण, जैसे कि ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकल संक्रमण

  • फेफड़ों का संक्रमण (निमोनिया)

  • मस्तिष्क का संक्रमण या सूजन (एन्सेफेलाइटिस, सेरिबेलर अटैक्सिया)

  • रक्तस्राव संबंधी समस्याएं (रक्तस्रावी जटिलताएं)

  • सेप्सिस (पूतिता)

  • निर्जलीकरण

     

गंभीर मामलों में, चिकनपॉक्स (छोटी माता) के लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है और यह जानलेवा भी हो सकता है1

 

अगर किसी महिला को गर्भावस्था के पहले छह हफ़्तों के भीतर चिकनपॉक्स (छोटी माता) हो जाता है, तो यह अजन्मे बच्चे में गंभीर असामान्यताएँ पैदा कर सकता है। प्रसव तिथि के निकट संक्रमण बच्चे के लिए जानलेवा हो सकता है, क्योंकि उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली अभी पूरी तरह से विकसित नहीं हुई होती है1

 

चिकनपॉक्स (छोटी माता) की एक और संभावित जटिलता शिंगल्स या हर्पीज ज़ोस्टर है। चिकनपॉक्स (छोटी माता) से ठीक होने के बाद, वैरिसेला-ज़ोस्टर वायरस शरीर के संवेदी तंत्रिका गैंग्लिया में निष्क्रिय रहता है। वायरस सालों बाद फिर से सक्रिय हो सकता है, जिससे शिंगल्स  हो सकता है, जिसकी विशेषता दर्दनाक दाने हैं। शिंगल्स से पीड़ित वयस्क लोग वायरस को उन लोगों में फैला सकते हैं जिनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता नहीं है, जिससे उन्हें चिकनपॉक्स (छोटी माता) हो सकता है1

 

चिकनपॉक्स (छोटी माता) रोग की रोकथाम में वैरीसेला टीकाकरण की भूमिका

बच्चों को चिकनपॉक्स (छोटी माता) से बचाने का एक प्रभावी तरीका वैरीसेला टीकाकरण है1,3। टीकाकरण प्रतिरक्षा प्रणाली को वायरस के कमज़ोर रूप के संपर्क में लाकर काम करता है, जिससे शरीर में बीमारी पैदा किए बिना प्रतिरक्षा विकसित होती है4

 

चिकनपॉक्स (छोटी माता) का टीकाकरण प्रभावी है - दो खुराक पाने वाले 90% से ज़्यादा बच्चे वायरस से सुरक्षित रहेंगे3। ऐसे मामलों में जहाँ टीकाकरण किए गए बच्चे वायरस से संक्रमित होते हैं - जिसे ब्रेकथ्रू चिकनपॉक्स (छोटी माता) कहा जाता है - बीमारी आमतौर पर हल्की होती है। इन बच्चों को अक्सर कम छाले होते हैं या छाले होते ही नहीं है और कम से कम बुखार होता है, हालाँकि कुछ लाल धब्बे अभी भी दिखाई दे सकते हैं2,3

 

चिकनपॉक्स (छोटी माता) का टीकाकरण दो खुराकों के साथ किया जाता है:5  

  • पहली खुराक 15 महीने की उम्र में

  • दूसरी खुराक 18 से 24 महीने के बीच

     

साथ ही, टीकाकरण चिकनपॉक्स (छोटी माता) से जुड़ी संभावित जटिलताओं को रोकने में मदद करता है1,2।  

 

7-स्टार टीकाकरण कार्यक्रम, आईएपी टीकाकरण और प्रतिरक्षण प्रथाओं पर सलाहकार समिति (एसीवीआईपी) के दिशानिर्देशों के आधार पर एक व्यापक और अच्छी तरह से संरचित कार्यक्रम है5। यह सात प्रमुख टीकाकरणों को शामिल करके चौदह विभिन्न रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है जिनमें कई रोकथाम योग्य रोग शामिल हैं जैसे कि चिकनपॉक्स (छोटी माता), हेपेटाइटिस ए (लीवर की सूजन), फ्लू (संक्रामक ज़ुकाम), रूबेला (जर्मन खसरा), मंप्स (कण्ठमाला), मेनिन्जाइटिस (मस्तिष्क की सूजन) और अन्य।

 

विस्तृत जानकारी के लिए और यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपके बच्चे को 7-स्टार प्रोटेक्शन शेड्यूल प्राप्त हो, अपने बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श करें।

 

निष्कर्ष

चिकनपॉक्स (छोटी माता) एक अत्यधिक संक्रामक लेकिन रोकथाम योग्य रोग है जो आमतौर पर बच्चों को प्रभावित करता है1,2।. लक्षणों और जटिलताओं को समझकर एवं निवारक उपाय करके, माता-पिता अपने बच्चों को चिकनपॉक्स (छोटी माता) से जुड़ी असुविधा और जोखिमों से बचा सकते हैं।

चिकनपॉक्स (छोटी माता) का टीकाकरण प्रभावी रूप से बीमारी के फैलने को कम करता है और गंभीर जटिलताओं की रोकथाम करता है1,2,3। अपने बच्चे के समय पर टीकाकरण करवाने एवं चिकनपॉक्स (छोटी माता) रोग की रोकथाम के बारे में अपनी किसी भी चिंता पर चर्चा करने के लिए अपने बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना सुनिश्चित करें।

References

  1. Heininger U, Seward JF, (KC). Varicella. The Lancet 2006; 368:1365–1376.
  2. c=AU, & o=The State of Queensland. (n.d.). Chickenpox (varicella). Gov.au. Retrieved January 10, 2025, from https://www.qld.gov.au/health/condition/infections-and-parasites/viral-infections/chickenpox-varicella
  3. (N.d.). Hhs.gov. Retrieved January 10, 2025, from https://www.hhs.gov/immunization/diseases/chickenpox/index.html
  4. CDC. (2024, August 10). Explaining how vaccines work. Vaccines & Immunizations. https://www.cdc.gov/vaccines/basics/explaining-how-vaccines-work.html?CDC_AA_refVal=https%3A%2F%2Fwww.cdc.gov%2Fvaccines%2Fhcp%2Fconversations%2Funderstanding-vacc-work.html
  5. Indra M, Kasi SG, Shashi Kant Dhir, Wadhwa A, B. Rajsekhar, Chandra Mohan Kumar, et al. Indian Academy of Pediatrics (IAP) Advisory Committee on Vaccines and Immunization Practices (ACVIP): Recommended Immunization Schedule (2023) and Update on Immunization for Children Aged 0 Through 18 Years. Indian pediatrics/Indian Pediatrics. 2024 Jan 15;61(2):113–25.

 

CL Code: NP-IN-PVU-WCNT-240014 DoP Jan 2025

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